एकत्व
From जैनकोष
आप्त मीमांसा 34
सत्सामान्यात्तु सर्वैक्यं पृथग्द्रव्यादिभेदतः। भेदाभेदव्यवस्थायामसाधारणहेतुवत् ।34।
= भेदाभेद की विवक्षा में असाधारण हेतु के तुल्य सत्सामान्य से सबकी एकता है और पृथक् पृथक् द्रव्य आदिक के भेद से भेद भी है।
समयसार / आत्मख्याति परिशिष्ट शक्ति नं. 31
अनेकपर्यायव्यापकैकद्रव्यमयत्वरूपा एकत्वशक्तिः।
अनेक पर्यायों में व्यापक ऐसी एक द्रव्यमयता रूप एकत्व शक्ति है।
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 106
तद्भावो ह्येकत्वस्य लक्षणम्।
= तद्भाव एकत्व का लक्षण है।
आलापपद्धति अधिकार 6
स्वभावानामेकधारत्वादेकस्वभावः।
= अनेक स्वभावों का एक आधार होने पर `एक स्वभाव' है।
वैशेषिक दर्शन / अध्याय 7/2/1
रूपरसगंधस्पर्शव्यतिरेकादर्थांतरमेकत्वम्।
= रूप, रस, गंध, स्पर्श के व्यतिरेक से अर्थांतरभूत एकत्व है।
• पर के साथ एकत्व कहने का अभिप्राय-देखें कारक - 2
• परम एकत्व के अपर नाम-देखें मोक्षमार्ग - 2.5।