दीक्षान्वयक्रिया
From जैनकोष
गर्भावतार से लेकर निर्वाण पर्यंत मोक्ष प्राप्ति में सहायक क्रियाएँ । ये अड़तालीस होती हैं― अवतार, वृत्त, लाभ स्थानलाभ, गणग्रह, पूजाराध्य, पुण्य-यज्ञ, दृढ़चर्या और उपयोगिता इन आठ क्रियाओं के अतिरिक्त गर्भान्वयी उपनीति नाम की चौदहवीं क्रिया से अग्रनिर्वृत्ति क्रिया पर्यंत क्रियाएँ । जो भव्य इन क्रियाओं का ज्ञान करके उनका पालन करता है वह निर्वाण पाता है । महापुराण 29.5,38-51-52, 64-65, 39.80, 63. 300, 304 देखें गर्भान्वय