धारिणी
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
एक औषध विद्या‒देखें विद्या ।
पुराणकोष से
(1) सर्वहिकारितणी एक औषध-विद्या । यह मंत्रों से परिष्कृत होती है । घरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । हरिवंशपुराण - 22.68-73
(2) पश्चिम पुष्करार्ध के पश्चिम विदेह क्षेत्र मे विजयार्ध की उत्तरश्रेणी में गण्यपुर नगर के राजा सूर्याभ की रानी । यह चिंतागति मनोगति, और चपलगति विद्याधरों की जननी थी । महापुराण 70. 27-30, हरिवंशपुराण - 34.15-17
(3) अयोध्या नगरी के समुद्रदत्त सेठ की स्त्री, पूर्णभद्र और मणिभद्र की जननी । पद्मपुराण - 109.129-130, हरिवंशपुराण - 43.148-149
(4) मेरुदत्त श्रेष्ठी की भार्या । महापुराण 46.112
(5) महापुर नगर के मेरु सेठ की स्त्री, पद्म-रुचि की जननी । इसके पुत्र ने एक मरते हुए बैल को णमोकार मंत्र सुनाया था जिसके फलस्वरूप वह मरकर महापुर में ही राजा छत्रच्छाय का वृषभध्वज नाम का पुत्र हुआ । पद्मपुराण - 106.38-43,पद्मपुराण - 106.48
(6) पद्मिनी नगरी के राजा विजयपर्वत की रानी । पद्मपुराण - 39.84
(7) चक्रवर्ती भरतेश की रानी, पुरूरवा भील के जीव मरीचि की जननी । वीरवर्द्धमान चरित्र 2.64-69
(8) हरिवंशी राजा सूरसेन के पुत्र राजा वीर की रानी, अंधकवृष्टि और नरवृष्टि की जननी । महापुराण 70.92-94
(9) रक्तद्वीप के मनुजोदय पर्वत पर स्थित रमणीक नगर निवासी विद्याधर गरुडवेग की पत्नी, गंधर्वदत्ता की जननी । महापुराण 75. 302-304
(10) विजयार्ध की अलका नगरी के राजा हरिबल की प्रथम रानी, भीमक की जननी । महापुराण 76.262-264
(11) पुंडरीकिणी नगरी के राजा सुरदेव की रानी । यह मरकर अच्युत स्वर्ग के प्रतींद्र की देवी हुई । महापुराण 46. 352