रेणुकी
From जैनकोष
राजा पारत की कन्या । जमदग्नि ने इसे केला दिखाकर अपने मे आकृष्ट करके इससे यह स्वीकार करा लिया था कि वह उसे चाहती है । इसके पश्चात् पारत से निवेदन करके जमदग्नि ने इसे विवाह लिया था । इसके दो पुत्र थे― इंद्र (परशुराम) और श्वेतराम । अरिंजय मुनि इसके बड़े भाई थे । इसे अरिंजय मुनि ने सम्यक्त्व धन के साथ-साथ कामधेनु नाम की एक विद्या भी दी थी । राजा कृतवीर इससे कामधेनु विद्या ले लेना चाहता था । उसने इससे विद्या देने को निवेदन भी किया किंतु इसके द्वारा निषेध किये जाने पर कुपित होकर कृतवीर ने इसके पति को मार डाला था । प्रत्युत्तर में इसके पुत्रों ने जाकर कृतवीर के पिता सहस्रबाहु को मार दिया था । इसके पुत्रों ने इक्कीस बार क्षत्रियवंश का निर्मूल नाश किया था । अंत में यह इंद्र (परशुराम) भी चक्रवर्ती सुभौम द्वारा मारा गया था । महापुराण 65.87-112, 127-132, 149-150