वैताड्य
From जैनकोष
एक पर्वत । शौर्यपुर के तापस सुमित्र के पुत्र नारद को जुंभकदेव पूर्वभव के स्नेहवश इसी पर्वत पर लाया था । नारद का यहाँ दिव्य-आहार से पालन-पोषण हुआ था । देवों ने यही उसे आकाशगामिनी विद्या दी थी । हरिवंशपुराण - 42.14-19
एक पर्वत । शौर्यपुर के तापस सुमित्र के पुत्र नारद को जुंभकदेव पूर्वभव के स्नेहवश इसी पर्वत पर लाया था । नारद का यहाँ दिव्य-आहार से पालन-पोषण हुआ था । देवों ने यही उसे आकाशगामिनी विद्या दी थी । हरिवंशपुराण - 42.14-19