शांति वरन मुनिराई वर लखि
From जैनकोष
(राग जंगला)
शांति वरन मुनिराई वर लखि ।
उत्तर गुनगन सहित मूल-गुन, सुभग बरात सुहाई ।।टेक ।।
तप रथपै आरूढ़ अनूपम, धरम सुमंगलदाई ।।१ ।।
शिवरमनीको पानिग्रहण करि, ज्ञानानन्द उपाई ।।२ ।।
`भागचन्द' ऐसे बनरा को, हाथ जोर सिरनाई ।।३ ।।