सांतर मार्गणा
From जैनकोष
एक मार्गणा को छोड़ने के पश्चात् पुन: उसी में लौटने के लिए कुछ काल का अंतर पड़ता हो तब वह मार्गणा सांतर कहलाती है। वे आठ हैं।
पंचसंग्रह/प्राकृत/1/58 मणुया य अपज्जत्ता वेउव्वियमिस्सऽहारया दोण्णि। सुहमो सासणमिस्सो उवसमसम्मो य संतराअट्ठं = अपर्याप्त मनुष्य, वैक्रियक मिश्र योग, दोनों आहारक योग, सूक्ष्मसांपराय संयम, सासादन सम्यग्मिथ्यात्व, और उपशम सम्यक्त्व ये आठ सांतर मार्गणा होती हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें मार्गणा ।