सामंतवर्द्धन
From जैनकोष
विदेहक्षेत्र में रत्नसंचयनगर के मणि मंत्री का पुत्र । इसने राजा के साथ महाव्रत धारण कर लिए थे । अंत में मरकर यह ग्रैवेयक विमान में अहमिंद्र हुआ और वहाँँ से च्युत होकर रथनूपुर नगर में सहस्रार विद्याधर का इंद्र नामक पुत्र हुआ । पद्मपुराण - 13.62-66