स्वार्थ प्रमाण
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/1/6/20/3 तत्र स्वार्थं प्रमाणं श्रुतवर्जम् (वर्ज्यम्) । श्रुतं पुनः स्वार्थं भवति परार्थं च । = श्रुतज्ञानको छोड़कर शेष सब (अर्थात् शेष चार) ज्ञान स्वार्थ प्रमाण हैं । परंतु श्रुतज्ञान स्वार्थ और परार्थ दोनों प्रकार का है । (इस प्रकार स्वार्थ व परार्थ भी प्रत्यक्ष व परोक्ष में अंतर्भूत है ।)
अधिक जानकारी के लिये देखें प्रमाण - 1.2।