अनाभोगकृतातिचार: Difference between revisions
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<p class="HindiText">अनाभोग कृत - उपयोग देकर भी जिसे अतिचारों का सम्यग्ज्ञान नहीं होता, उसको <b>अनाभोगकृत अतिचार</b> कहते हैं। अथवा मन दूसरी तरफ लगने पर जो अतिचार होता है वह भी <b>अनाभोग कृत</b> है।</p> | |||
<p class="HindiText">- देखें [[ अतिचार#1.2 | अतिचार - 1.2 ]]।</p> | |||
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भगवती आराधना / विजयोदयी टीका / गाथा 612/812/6
उपयुक्तोऽपि सम्यगतिचारं न वेत्ति सोऽनाभोगकृत व्याक्षिप्तचेतसा वा कृतः ...।
अनाभोग कृत - उपयोग देकर भी जिसे अतिचारों का सम्यग्ज्ञान नहीं होता, उसको अनाभोगकृत अतिचार कहते हैं। अथवा मन दूसरी तरफ लगने पर जो अतिचार होता है वह भी अनाभोग कृत है।
- देखें अतिचार - 1.2 ।