आर्यवर्मा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> सिंहपुर नगर का नृप । इसने वीरनंदी मुनि से धर्म श्रवण कर निर्मल सम्यग्दर्शन धारण किया और अपने पुत्र धृतिषेण को राज्य सौंपने के पश्चात् जठराग्नि को तीव्रदाह सहने में असमर्थ होने से इसे तापस-वेष भी धारण करना पडा था । जीवंधरकुमार को इसी ने शिक्षा दी थी । अंत में यह संयमी हो गया और देह त्याग के पश्चात् मुक्त हो गया । <span class="GRef"> महापुराण 75.277-287 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सिंहपुर नगर का नृप । इसने वीरनंदी मुनि से धर्म श्रवण कर निर्मल सम्यग्दर्शन धारण किया और अपने पुत्र धृतिषेण को राज्य सौंपने के पश्चात् जठराग्नि को तीव्रदाह सहने में असमर्थ होने से इसे तापस-वेष भी धारण करना पडा था । जीवंधरकुमार को इसी ने शिक्षा दी थी । अंत में यह संयमी हो गया और देह त्याग के पश्चात् मुक्त हो गया । <span class="GRef"> महापुराण 75.277-287 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: आ]] | [[Category: आ]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिंहपुर नगर का नृप । इसने वीरनंदी मुनि से धर्म श्रवण कर निर्मल सम्यग्दर्शन धारण किया और अपने पुत्र धृतिषेण को राज्य सौंपने के पश्चात् जठराग्नि को तीव्रदाह सहने में असमर्थ होने से इसे तापस-वेष भी धारण करना पडा था । जीवंधरकुमार को इसी ने शिक्षा दी थी । अंत में यह संयमी हो गया और देह त्याग के पश्चात् मुक्त हो गया । महापुराण 75.277-287