आर्यवर्मा
From जैनकोष
सिंहपुर नगर का नृप । इसने वीरनंदी मुनि से धर्म श्रवण कर निर्मल सम्यग्दर्शन धारण किया और अपने पुत्र धृतिषेण को राज्य सौंपने के पश्चात् जठराग्नि को तीव्रदाह सहने में असमर्थ होने से इसे तापस-वेष भी धारण करना पडा था । जीवंधरकुमार को इसी ने शिक्षा दी थी । अंत में यह संयमी हो गया और देह त्याग के पश्चात् मुक्त हो गया । महापुराण 75.277-287