कनकाभ: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(6 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
उत्तर क्षौद्रवर द्वीप तथा घृतवर समुद्र के रक्षक | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="HindiText">उत्तर क्षौद्रवर द्वीप तथा घृतवर समुद्र के रक्षक व्यंतर देव–देखें [[ व्यंतर#4.7 | व्यंतर - 4.7]]। | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<Span class="HindiText"> (1) काचन विमान का निवासी देव । यह वज्रजंघ के महामंत्री का जीव था । <span class="GRef"> महापुराण 8.213 </span></br><span class="HindiText"><span class="HindiText">(2) एक नगर । यहाँ का राजा कनक था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#567|पद्मपुराण -6. 567]] </span></br><span class="HindiText">(3) सुभूम चक्रवर्ती के पूर्वभव का जीव । यह धान्यपुर नगर का राजा और विचित्रगुप्त का शिष्य था । मरकर यह जयंत विमान में देव हुआ । वहाँ से च्युत होकर यह चक्रवर्ती सुभूम हुआ था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#170|पद्मपुराण - 20.170]] </span></br> <span class="HindiText">(4) द्वारावती नगरी का राजा । इसने विधिपूर्वक मुनिराज नेमि को पड़गाहकर आहार दिया था तथा पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । देवों ने इसके प्रांगण में साढ़े बारह कोटि रत्न बरसाये थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 22. 46-50 </span></br><span class="HindiText">(5) पतवर समुद्र का रक्षक देव । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#642|हरिवंशपुराण - 5.642]] </span> | |||
< | |||
< | |||
< | |||
< | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 27: | Line 24: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: क]] | [[Category: क]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
उत्तर क्षौद्रवर द्वीप तथा घृतवर समुद्र के रक्षक व्यंतर देव–देखें व्यंतर - 4.7।
पुराणकोष से
(1) काचन विमान का निवासी देव । यह वज्रजंघ के महामंत्री का जीव था । महापुराण 8.213
(2) एक नगर । यहाँ का राजा कनक था । पद्मपुराण -6. 567
(3) सुभूम चक्रवर्ती के पूर्वभव का जीव । यह धान्यपुर नगर का राजा और विचित्रगुप्त का शिष्य था । मरकर यह जयंत विमान में देव हुआ । वहाँ से च्युत होकर यह चक्रवर्ती सुभूम हुआ था । पद्मपुराण - 20.170
(4) द्वारावती नगरी का राजा । इसने विधिपूर्वक मुनिराज नेमि को पड़गाहकर आहार दिया था तथा पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । देवों ने इसके प्रांगण में साढ़े बारह कोटि रत्न बरसाये थे । पांडवपुराण 22. 46-50
(5) पतवर समुद्र का रक्षक देव । हरिवंशपुराण - 5.642