गंगदेव: Difference between revisions
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<span class="HindiText">श्रुतावतार के अनुसार आपका नाम (देखें [[ इतिहास ]]) देव था। आप भद्रबाहु प्रथम (श्रुतकेवली) के पश्चात् दसवें, 11वें अंग व पूर्वधारी हुए थे। समय–वी.नि. 315-329 (ई.पू.212-198)। (देखें [[ इतिहास ]] | <span class="HindiText">श्रुतावतार के अनुसार आपका नाम (देखें [[ इतिहास ]]) देव था। आप भद्रबाहु प्रथम (श्रुतकेवली) के पश्चात् दसवें, 11वें अंग व पूर्वधारी हुए थे। समय–वी.नि. 315-329 (ई.पू.212-198)। (देखें [[ इतिहास #4.4| इतिहास - 4.4]] )। | ||
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<span class="HindiText"> (1) हस्तिनापुर का राजा और नंदयशा का पति । इसके सात पुत्र हुए थे । यह देवनंद पुत्र को राज्य देकर द्रुमषेण मुनि से दो सौ राजाओं के साथ दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 261-265, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 163 </span>देखें [[ गंग ]]</br><span class="HindiText">(2) हस्तिनापुर के राजा गंगदेव का पुत्र, गंग के साथ युगल रूप में उत्पन्न । <span class="GRef"> महापुराण 71. 261-265 </span>देखें [[ गंग ]]</br><span class="HindiText">(3) दस पूर्व और ग्यारह अंगधारी ग्यारह मुनियों मे दसवें मुनि । देखें [[ गंग ]] । <span class="GRef"> महापुराण 2.141-145, 76.521-524, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 163 </span></br><span class="HindiText">(4) कुरुवंशी राजा धृतिकर का उत्तराधिकारी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.11 </span></br><span class="HindiText">(5) कृष्ण के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 211 </span></p> | <span class="HindiText"> (1) हस्तिनापुर का राजा और नंदयशा का पति । इसके सात पुत्र हुए थे । यह देवनंद पुत्र को राज्य देकर द्रुमषेण मुनि से दो सौ राजाओं के साथ दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 261-265, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#163|हरिवंशपुराण - 33.163]] </span>देखें [[ गंग ]]</br><span class="HindiText">(2) हस्तिनापुर के राजा गंगदेव का पुत्र, गंग के साथ युगल रूप में उत्पन्न । <span class="GRef"> महापुराण 71. 261-265 </span>देखें [[ गंग ]]</br><span class="HindiText">(3) दस पूर्व और ग्यारह अंगधारी ग्यारह मुनियों मे दसवें मुनि । देखें [[ गंग ]] । <span class="GRef"> महापुराण 2.141-145, 76.521-524, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 163 </span></br><span class="HindiText">(4) कुरुवंशी राजा धृतिकर का उत्तराधिकारी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#11|हरिवंशपुराण - 45.11]] </span></br><span class="HindiText">(5) कृष्ण के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#211|पद्मपुराण - 20.211]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
श्रुतावतार के अनुसार आपका नाम (देखें इतिहास ) देव था। आप भद्रबाहु प्रथम (श्रुतकेवली) के पश्चात् दसवें, 11वें अंग व पूर्वधारी हुए थे। समय–वी.नि. 315-329 (ई.पू.212-198)। (देखें इतिहास - 4.4 )।
पुराणकोष से
(1) हस्तिनापुर का राजा और नंदयशा का पति । इसके सात पुत्र हुए थे । यह देवनंद पुत्र को राज्य देकर द्रुमषेण मुनि से दो सौ राजाओं के साथ दीक्षित हो गया था । महापुराण 71. 261-265, हरिवंशपुराण - 33.163 देखें गंग(2) हस्तिनापुर के राजा गंगदेव का पुत्र, गंग के साथ युगल रूप में उत्पन्न । महापुराण 71. 261-265 देखें गंग
(3) दस पूर्व और ग्यारह अंगधारी ग्यारह मुनियों मे दसवें मुनि । देखें गंग । महापुराण 2.141-145, 76.521-524, हरिवंशपुराण 163
(4) कुरुवंशी राजा धृतिकर का उत्तराधिकारी । हरिवंशपुराण - 45.11
(5) कृष्ण के पूर्वभव का जीव । पद्मपुराण - 20.211