गंधर्व: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> (1) गंधर्वनगर के निवासी इंद्र के गायक देव । ये देवसेना के आगे वाद्य बजाते हुए चलते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 13.50, 14.96, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#309|पद्मपुराण - 3.309-310]], 7.118, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 8.99 </span></p> | |||
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<span class="HindiText"> (8) अर्जुन का एक मित्र । इसने वनवास के सहाय वन मे दुर्योधन को युद्ध में बाँधा था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 17.65-67, 101-104 </span></br> | |||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- गंधर्व के वर्ण परिवार आदि –देखें व्यंतर - 1.2।
- गंधर्व देव का लक्षण
धवला 13/5,5,140/391/9 इंद्रादीनां गायका: गंधर्वा:।=इंद्रादिकों के गायकों को गंधर्व कहते हैं।
- गंधर्व के भेद
तिलोयपण्णत्ति/6/40 हाहाहूहूणारदतुंवरवासवकदंबमहसरया। गीदरदीगीदरसा वइरवतो होंति गंधव्वा।40। हाहा, हूहू, नारद, तुंबर, वासव, कदंब, महास्वर, गीतरति, गीतरस और वज्रवान् ये दस गंधर्वों के भेद हैं। ( त्रिलोकसार/263 )।
1. कुंथुनाथ का शासक यक्ष–देखें तीर्थंकर - 5.3,
2. पांडवपुराण/17/ श्लोक–अर्जुन का मित्र व शिष्य था (65-67)। वनवास के समय सहायवन में दुर्योधन को युद्ध में बाँध लिया था (102-104)।
पुराणकोष से
(1) गंधर्वनगर के निवासी इंद्र के गायक देव । ये देवसेना के आगे वाद्य बजाते हुए चलते हैं । महापुराण 13.50, 14.96, पद्मपुराण - 3.309-310, 7.118, वीरवर्द्धमान चरित्र 8.99 (2) संगीत-विद्या । हरिवंशपुराण - 8.43
(3) रात्रि का तीसरा प्रहर । महापुराण 74.255
(4) सुमेरु पर्वत के नंदन बन की पश्चिम दिशा में स्थित एक भवन । इसकी चौड़ाई तीस योजन, ऊँचाई पचास योजन और परिधि नब्बे योजन है । यहाँ लोकपाल वरुण अपने परिवार की साढ़े तीन करोड़ स्त्रियों के साथ मनोरंजन करता है । हरिवंशपुराण - 5.315-318
(5) विद्याओं के आठ निकायों में पांचवाँ निकाय । यह अदिति देवी ने नमि और विनमि को दिया था । हरिवंशपुराण - 22.57-58
(6) एक विवाह । इसमें पुरुष और स्त्री स्वयं एक दूसरे को वर लेते हैं । कोई वैवाहिक विधि नहीं होती । पद्मपुराण -8. 108
(7) दधिमुख नगर का राजा । इसकी रानी अमरा से उत्पन्न तीन पुत्रियाँ थी― चंद्रलेखा, विद्युत्प्रभा और तरंगमाला । इसने राम के साथ इनका विवाह कर दिया था । पद्मपुराण - 51.25-26,पद्मपुराण - 51.47-48
(8) अर्जुन का एक मित्र । इसने वनवास के सहाय वन मे दुर्योधन को युद्ध में बाँधा था । पांडवपुराण 17.65-67, 101-104