रुक्मी: Difference between revisions
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<p id="1">(1) | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) जंबूद्वीप का पाँचवाँ कुलाचल । इस पर्वत के आठ कूट हैं― सिद्धायतनकूट, रुक्मिकूट, रम्यककूट, नारीकूट, बुद्धिकूट, रूप्यकटू, हैरण्यवतकूट और मणिकांचनकूट । <span class="GRef"> महापुराण 63.193, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#157|पद्मपुराण - 105.157-158]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#15|हरिवंशपुराण - 5.15]], 102-104 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) जंबूद्वीप का पाँचवाँ कुलाचल । इस पर्वत के आठ कूट हैं― सिद्धायतनकूट, रुक्मिकूट, रम्यककूट, नारीकूट, बुद्धिकूट, रूप्यकटू, हैरण्यवतकूट और मणिकांचनकूट । महापुराण 63.193, पद्मपुराण - 105.157-158, हरिवंशपुराण - 5.15, 102-104
(2) यादवों का पक्षधर एक महारथी राजा । यह कुंडिनपुर के राजा भीष्म और रानी श्रीमती का पुत्र था । रुक्मिणी इसकी बहिन थी । कृष्ण के द्वारा अपनी बहिन का हरण किये जाने पर इसने कृष्ण और बलदेव का सामना किया था । इस समय शिशुपाल इसके साथ था । इसकी सेना मे साठ हजार रथ, दस हजार हाथी, तीन लाख घोड़े और कई लाख पैदल सैनिक थे । इसकी बहिन ने युद्ध में कृष्ण से इसकी रक्षा करने को कहा था । बलदेव ने इससे युद्ध किया था । उन्होने इसे इतना आहत किया था कि इसके प्राण ही शेष रह गये थे । पांडवपुराण के अनुसार कृष्ण ने इसे नागपाश से बाँधकर रथ के नीचे डाल दिया या । हरिवंशपुराण - 42.33-34,हरिवंशपुराण - 42.78-96, 50.78, पांडवपुराण 12.9, 12