सहदेवी: Difference between revisions
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<span class="GRef"> पद्मपुराण/ सर्ग/श्लोक</span><br><span class="HindiText">-सुकौशल मुनि की माता थी। (21/159)। पुत्र सुकौशल के मुनि हो जाने पर उसके वियोग में मरकर सिंहनी हुई। (22/49)। पूर्व के क्रोधवश सुकौशल को खा लिया। (22/85-88)। अंत में सुकौशल के पिता कीर्तिधर से पूर्वभव जानकर पश्चात्ताप पूर्वक देह त्याग स्वर्ग में गयी। (22/97)।</span> | |||
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<p id="2">(2) अयोध्या के राजा कीर्तिधर की रानी । ये कौशल देश के राजा की पुत्री और सुकौशल की जननी थी । इसके पति ने मुनिदीक्षा ले ली थी । पुत्र सुकौशल के अपने पिता से दीक्षा धारण कर लेने पर यह आर्तध्यान से मरकर तिर्यंच योनि में व्याघ्री हुई । इसने इस पर्याय में पूर्व पर्याय के अपने ही पुत्र सुकौशल के पूर्व वैरवंश पैर खा लिये थे । अन्य अंग भी विदार्ण कर दिये थे । अंत में सुकौशल के पिता कीर्तिधर के उपदेश से इसने संन्यास ग्रहण किया तथा देह त्याग करके यह स्वर्ग गयी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.73-77, 140-142, 159, 164-165,22. 44-49, 85, 90-92, 97 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) अयोध्या के राजा कीर्तिधर की रानी । ये कौशल देश के राजा की पुत्री और सुकौशल की जननी थी । इसके पति ने मुनिदीक्षा ले ली थी । पुत्र सुकौशल के अपने पिता से दीक्षा धारण कर लेने पर यह आर्तध्यान से मरकर तिर्यंच योनि में व्याघ्री हुई । इसने इस पर्याय में पूर्व पर्याय के अपने ही पुत्र सुकौशल के पूर्व वैरवंश पैर खा लिये थे । अन्य अंग भी विदार्ण कर दिये थे । अंत में सुकौशल के पिता कीर्तिधर के उपदेश से इसने संन्यास ग्रहण किया तथा देह त्याग करके यह स्वर्ग गयी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#73|पद्मपुराण - 21.73-77]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#140|140-142]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#159|159]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_21#164|164-165]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#44|22.44-49]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#85|85]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#90|90-92]], [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_22#97|97]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/ सर्ग/श्लोक
-सुकौशल मुनि की माता थी। (21/159)। पुत्र सुकौशल के मुनि हो जाने पर उसके वियोग में मरकर सिंहनी हुई। (22/49)। पूर्व के क्रोधवश सुकौशल को खा लिया। (22/85-88)। अंत में सुकौशल के पिता कीर्तिधर से पूर्वभव जानकर पश्चात्ताप पूर्वक देह त्याग स्वर्ग में गयी। (22/97)।
पुराणकोष से
(1) अयोध्या के राजा अनंतवीर्य की रानी और सनत्कुमार चक्रवर्ती की जननी । महापुराण 61. 105, पद्मपुराण - 20.153
(2) अयोध्या के राजा कीर्तिधर की रानी । ये कौशल देश के राजा की पुत्री और सुकौशल की जननी थी । इसके पति ने मुनिदीक्षा ले ली थी । पुत्र सुकौशल के अपने पिता से दीक्षा धारण कर लेने पर यह आर्तध्यान से मरकर तिर्यंच योनि में व्याघ्री हुई । इसने इस पर्याय में पूर्व पर्याय के अपने ही पुत्र सुकौशल के पूर्व वैरवंश पैर खा लिये थे । अन्य अंग भी विदार्ण कर दिये थे । अंत में सुकौशल के पिता कीर्तिधर के उपदेश से इसने संन्यास ग्रहण किया तथा देह त्याग करके यह स्वर्ग गयी । पद्मपुराण - 21.73-77, 140-142, 159, 164-165, 22.44-49, 85, 90-92, 97