सुव्रत: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) कुरुवंशी एक राजा । यह धृतिक्षेम का पुत्र और व्रात का पिता था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45. 11 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) कुरुवंशी एक राजा । यह धृतिक्षेम का पुत्र और व्रात का पिता था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#11|हरिवंशपुराण - 45.11]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक मुनि । कीचक के जीव कुमारदेव की माता सुकुमारिका ने विष मिला आहार देकर इन्हें मार डाला था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46. 48, 51 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) एक मुनि । कीचक के जीव कुमारदेव की माता सुकुमारिका ने विष मिला आहार देकर इन्हें मार डाला था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_46#48|हरिवंशपुराण - 46.48]], 51 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक मुनि । इनसे राजा सुषेण ने जिन दीक्षा धारण की थी । महापुर के राजा वायुरथ ने इनसे धर्मोपदेश सुना था, तथा राजा मित्रनंदि और सुदत्त सेठ ने दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 58.70-81, 59.64-70, 63. 100-106 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) एक मुनि । इनसे राजा सुषेण ने जिन दीक्षा धारण की थी । महापुर के राजा वायुरथ ने इनसे धर्मोपदेश सुना था, तथा राजा मित्रनंदि और सुदत्त सेठ ने दीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 58.70-81, 59.64-70, 63. 100-106 </span></p> | ||
<p id="4">(4) तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ का पुत्र । यह दक्ष का पिता था । इसकी माता प्रभावती थी इसने अपने पुत्र दक्ष को राज्य देकर अपने पिता तीर्थंकर मुनिसुव्रत से दीक्षा लेकर मुक्ति प्राप्त की थी । राम के ये दीक्षा गुरु थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 246-247, 21.48, 119, 14-27, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 16. 55, 17.1-2 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ का पुत्र । यह दक्ष का पिता था । इसकी माता प्रभावती थी इसने अपने पुत्र दक्ष को राज्य देकर अपने पिता तीर्थंकर मुनिसुव्रत से दीक्षा लेकर मुक्ति प्राप्त की थी । राम के ये दीक्षा गुरु थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#246|पद्मपुराण - 20.246-247]], 21.48, 119, 14-27, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_16#55|हरिवंशपुराण - 16.55]], 17.1-2 </span></p> | ||
<p id="5">(5) तीसरे बलभद्र भद्र के पूर्वजन्म के दीक्षागुरु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 234 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) तीसरे बलभद्र भद्र के पूर्वजन्म के दीक्षागुरु । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#234|पद्मपुराण - 20.234]] </span></p> | ||
<p id="6">(6) तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ का अपर नाम । <span class="GRef"> पद्मपुराण 1. 14, 5. 215 </span>देखें [[ मुनिसुव्रत ]]</p> | <p id="6" class="HindiText">(6) तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ का अपर नाम । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_1#14|पद्मपुराण - 1.14]], 5. 215 </span>देखें [[ मुनिसुव्रत ]]</p> | ||
<p id="7">(7) आगामी ग्यारहवें तीर्थंकर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 559 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) आगामी ग्यारहवें तीर्थंकर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#559|हरिवंशपुराण - 60.559]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 171 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 171 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
(1) कुरुवंशी एक राजा । यह धृतिक्षेम का पुत्र और व्रात का पिता था । हरिवंशपुराण - 45.11
(2) एक मुनि । कीचक के जीव कुमारदेव की माता सुकुमारिका ने विष मिला आहार देकर इन्हें मार डाला था । हरिवंशपुराण - 46.48, 51
(3) एक मुनि । इनसे राजा सुषेण ने जिन दीक्षा धारण की थी । महापुर के राजा वायुरथ ने इनसे धर्मोपदेश सुना था, तथा राजा मित्रनंदि और सुदत्त सेठ ने दीक्षा ली थी । महापुराण 58.70-81, 59.64-70, 63. 100-106
(4) तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ का पुत्र । यह दक्ष का पिता था । इसकी माता प्रभावती थी इसने अपने पुत्र दक्ष को राज्य देकर अपने पिता तीर्थंकर मुनिसुव्रत से दीक्षा लेकर मुक्ति प्राप्त की थी । राम के ये दीक्षा गुरु थे । पद्मपुराण - 20.246-247, 21.48, 119, 14-27, हरिवंशपुराण - 16.55, 17.1-2
(5) तीसरे बलभद्र भद्र के पूर्वजन्म के दीक्षागुरु । पद्मपुराण - 20.234
(6) तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ का अपर नाम । पद्मपुराण - 1.14, 5. 215 देखें मुनिसुव्रत
(7) आगामी ग्यारहवें तीर्थंकर । हरिवंशपुराण - 60.559
(8) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 171