संयोजना सत्य: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> राजवार्तिक/1/20/12/75/21 </span><span class="SanskritText">..... धूपचूर्णवासानुलेपनप्रघर्षादिषु पद्म-मकर-हंस-सर्वतोभद्र-क्रौंच-व्यूहादिषु वा सचेतनेतरद्रव्याणां यथा भागविधिसंनिवेशाविर्भावकं यद्वचस्तत् '''संयोजनासत्यम्''' । ..... । | |||
</span>=<span class="HindiText">.....। सुगंधित धूपचूर्ण के लेपन और घिसने में अथवा पद्म, मकर, हंस, सर्वतोभद्र और क्रौंचरूप व्यूह (सैन्यरचना) आदि में भिन्न द्रव्यों की विभाग विधि के अनुसार की जाने वाली रचना को प्रगट करने वाला वचन वह '''संयोजना सत्य''' वचन कहलाता है। ....</span></p> | |||
[[Category:स]] | <span class="HindiText"> अधिक जानकारी के लिये देखें [[ सत्य#6 | सत्य - 6]]। | ||
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राजवार्तिक/1/20/12/75/21 ..... धूपचूर्णवासानुलेपनप्रघर्षादिषु पद्म-मकर-हंस-सर्वतोभद्र-क्रौंच-व्यूहादिषु वा सचेतनेतरद्रव्याणां यथा भागविधिसंनिवेशाविर्भावकं यद्वचस्तत् संयोजनासत्यम् । ..... । =.....। सुगंधित धूपचूर्ण के लेपन और घिसने में अथवा पद्म, मकर, हंस, सर्वतोभद्र और क्रौंचरूप व्यूह (सैन्यरचना) आदि में भिन्न द्रव्यों की विभाग विधि के अनुसार की जाने वाली रचना को प्रगट करने वाला वचन वह संयोजना सत्य वचन कहलाता है। ....
अधिक जानकारी के लिये देखें सत्य - 6।