स्वगणानुस्थापनप्रायश्चित्त: Difference between revisions
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<span class="HindiText">देखें [[ | <span class="GRef"> चारित्रसार/144/4 </span><span class="SanskritText">प्रमादादंयमुनिसंबंधिनमृषिं छात्रं गृहस्थं वा परपाखंडिप्रतिबद्धचेतनाचेतनद्रव्यं वा परस्त्रियं वा स्तेनयतां मुनीन् प्रहरतो वाऽन्यदप्येवमादिविरुद्धाचरितमाचरतो नवदशपूर्वधरस्यापि त्रिकसंहननस्य जितपरिषहस्य दृढधर्मिणो धीरस्य भवभीतस्य निजगुणानुपस्थापनं प्रायश्चित्तं भवति । ... दर्पादनंतरोक्तांदोषानाचारतः परगणोपस्थापनं प्रायश्चित्तं भवति । </span>= | ||
<span class="HindiText">प्रमाद से अन्य मुनि संबंधी ऋषि, विद्यार्थी, गृहस्थ वा दूसरे पाखंडी के द्वारा रोके हुए चेतनात्मक वा अचेतनात्मक द्रव्य, अथवा परस्त्री आदि को चुरानेवाले, मुनियों को मारनेवाले, अथवा और भी ऐसे ही विरुद्ध आचरण करने वाले, परंतु नौ वा दस पूर्वों के जानकार, पहले तीन संहनन को धारण करने वाले परीषहों को जीतनेवाले, धर्म में दृढ़ रहने वाले, धीर, वीर और संसार से डरने वाले मुनियों के '''निजगणानुपस्थापन''' नाम का प्रायश्चित्त होता है । </span><br> | |||
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चारित्रसार/144/4 प्रमादादंयमुनिसंबंधिनमृषिं छात्रं गृहस्थं वा परपाखंडिप्रतिबद्धचेतनाचेतनद्रव्यं वा परस्त्रियं वा स्तेनयतां मुनीन् प्रहरतो वाऽन्यदप्येवमादिविरुद्धाचरितमाचरतो नवदशपूर्वधरस्यापि त्रिकसंहननस्य जितपरिषहस्य दृढधर्मिणो धीरस्य भवभीतस्य निजगुणानुपस्थापनं प्रायश्चित्तं भवति । ... दर्पादनंतरोक्तांदोषानाचारतः परगणोपस्थापनं प्रायश्चित्तं भवति । =
प्रमाद से अन्य मुनि संबंधी ऋषि, विद्यार्थी, गृहस्थ वा दूसरे पाखंडी के द्वारा रोके हुए चेतनात्मक वा अचेतनात्मक द्रव्य, अथवा परस्त्री आदि को चुरानेवाले, मुनियों को मारनेवाले, अथवा और भी ऐसे ही विरुद्ध आचरण करने वाले, परंतु नौ वा दस पूर्वों के जानकार, पहले तीन संहनन को धारण करने वाले परीषहों को जीतनेवाले, धर्म में दृढ़ रहने वाले, धीर, वीर और संसार से डरने वाले मुनियों के निजगणानुपस्थापन नाम का प्रायश्चित्त होता है ।
अधिक जानकारी के लिये देखें प्रायश्चित्त 4.1.9।