सुनो! जैनी लोगो, ज्ञानको पंथ कठिन है: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: सुनो! जैनी लोगो, ज्ञानको पंथ कठिन है<br> सब जग चाहत है विषयनिको, ज्ञानविषैं ...) |
No edit summary |
||
Line 12: | Line 12: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:द्यानतरायजी]] | [[Category:द्यानतरायजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 22:57, 15 February 2008
सुनो! जैनी लोगो, ज्ञानको पंथ कठिन है
सब जग चाहत है विषयनिको, ज्ञानविषैं अनबन है।।सुनो. ।।
राज काज जग घोर तपत है जूझ मरैं जहा रन है ।
सो तो राज हेय करि जानैं, जो कौड़ी गाँठ न है ।।सुनो. ।।१ ।।
कुवचन बात तनकसी ताको, सह न सकै जग जन है ।
सिर पर आन चलावैं आरे, दोष न करना मन है ।।सुनो. ।।२ ।।
ऊपरकी सब थोथी बातैं, भावकी बातैं कम है ।
`द्यानत' शुद्ध भाव है जाके, सो त्रिभुवनमें धन है ।।सुनो. ।।३ ।।