जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय<br> रोम रोम लखि हरष होत है, आनँद उर न समाय।।...) |
No edit summary |
||
Line 9: | Line 9: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:द्यानतरायजी]] | [[Category:द्यानतरायजी]] | ||
[[Category:देव भक्ति]] |
Latest revision as of 00:40, 16 February 2008
जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय
रोम रोम लखि हरष होत है, आनँद उर न समाय।।जिन. ।।१ ।।
शांतरूप शिवराह बतावै, आसन ध्यान उपाय।।जिन.।।२ ।।
इंद फनिंद नरिंद विभौ सब, दीसत है दुखदाय।।जिन. ।।३ ।।
`द्यानत' पूजै ध्यावै गावै, मन वच काय लगाय ।।जिन.।।४ ।।