भाई! ज्ञानका राह सुहेला रे 2: Difference between revisions
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भाई! ज्ञानका राह सुहेला रे
दरब न चहिये देह न दहिये, जोग भोग न नवेला रे ।।भाई. ।।
लड़ना नाहीं मरना नाहीं, करना बेला तेला रे ।
पढ़ना नाहीं गढ़ना नाहीं, नाच न गावन मेला रे ।।भाई. ।।१ ।।
न्हानां नाहीं खाना नाहीं, नाहिं कमाना धेला रे ।
चलना नाहीं जलना नाहीं, गलना नाहीं देला रे ।।भाई. ।।२ ।।
जो चित चाहे सो नित दाहै, चाह दूर करि खेला रे ।
`द्यानत' यामें कौन कठिनता, वे परवाह अकेला रे ।।भाई. ।।३ ।।