हमारे ये दिन यों ही गये जी: Difference between revisions
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Latest revision as of 01:22, 16 February 2008
हमारे ये दिन यों ही गये जी
कर न लियो कछु जप तप जी, कछु जप तप,
बहु पाप बिसाहे नये जी ।।हमारे. ।।१ ।।
तन धन ही निज मान रहे, निज मान रहे,
कबहूँ न उदास भये जी ।।हमारे. ।।२ ।।
`द्यानत' जे करि हैं करुना, करि हैं करुना,
तेइ जीव लेखेमें लये जी ।।हमारे. ।।३ ।।
राग भावतैं सज्जन मानैं, दोष भावतैं दुर्जन जानैं ।
राग दोष दोऊ मम नाहीं, `द्यानत' मैं चेतनपदमाहीं ।।३ ।।