हम न किसीके कोई न हमारा, झूठा है जगका ब्योहारा: Difference between revisions
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Latest revision as of 01:47, 16 February 2008
हम न किसीके कोई न हमारा, झूठा है जगका ब्योहारा
तनसम्बन्धी सब परिवारा, सो तन हमने जाना न्यारा ।।हम. ।।
पुन्य उदय सुखका बढ़वारा, पाप उदय दुख होत अपारा ।
पाप पुन्य दोऊ संसारा, मैं सब देखन जानन हारा ।।१ ।।
मैं तिहुँ जग तिहुँ काल अकेला, पर संजोग भया बहु मेला ।
थिति पूरी करि खिर खिर जांहीं, मेरे हर्ष शोक कछु नाहीं ।।२ ।।
राग भावतैं सज्जन मानैं, दोष भावतैं दुर्जन जानैं ।
राग दोष दोऊ मम नाहीं, `द्यानत' मैं चेतनपदमाहीं ।।३ ।।