गुरु कहत सीख इमि बार बार: Difference between revisions
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Latest revision as of 03:13, 16 February 2008
गुरु कहत सीख इमि बार बार, विषसम विषयनको टार टार ।।टेक. ।।
इन सेवत अनादि दुख पायो, जनम मरन बहु धार धार ।।१ ।।गुरु. ।।
कर्माश्रित बाधा-जुत फाँसी, बन्ध बढ़ावन द्वंदकार ।।२ ।।गुरु. ।।
ये न इन्द्रिके तृप्तिहेतु जिमि, तिस न बुझावत क्षारवार ।।३ ।।गुरु. ।।
इनमें सुख कलपना अबुधके, बुधजन मानत दुख प्रचार ।।४ ।।गुरु. ।।
इन तजि ज्ञानपियूष चख्यौ तिन, `दौल' लही भववार पार ।।५ ।।गुरु. ।।