सद्गृहमेधि-धर्म: Difference between revisions
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<p> गृहस्थ-धर्म । दान, पूजा, शील और प्रोषध― ये चार कार्य करना सद्गृहस्थ का धर्म है । चक्रवर्ती भरतेश ने इनके छ: धर्म बताये हैं । वे हैं― इज्या, वार्ता, दत्ति, स्वाध्याय, संयम और तप । <span class="GRef"> महापुराण 8.173, 38-24, 41.104, </span>देखें [[ गृहस्थधर्म ]]</p> | <div class="HindiText"> <p> गृहस्थ-धर्म । दान, पूजा, शील और प्रोषध― ये चार कार्य करना सद्गृहस्थ का धर्म है । चक्रवर्ती भरतेश ने इनके छ: धर्म बताये हैं । वे हैं― इज्या, वार्ता, दत्ति, स्वाध्याय, संयम और तप । <span class="GRef"> महापुराण 8.173, 38-24, 41.104, </span>देखें [[ गृहस्थधर्म ]]</p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
गृहस्थ-धर्म । दान, पूजा, शील और प्रोषध― ये चार कार्य करना सद्गृहस्थ का धर्म है । चक्रवर्ती भरतेश ने इनके छ: धर्म बताये हैं । वे हैं― इज्या, वार्ता, दत्ति, स्वाध्याय, संयम और तप । महापुराण 8.173, 38-24, 41.104, देखें गृहस्थधर्म