जीव तू अनादिहीतैं भूल्यौ शिवगैलवा: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: जीव तू अनादिहीतैं भूल्यौ शिवगैलवा ।।टेक ।।<br> मोहमदवार पियौ, स्वपद विसा...) |
No edit summary |
||
Line 11: | Line 11: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:दौलतरामजी]] | [[Category:दौलतरामजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 07:11, 16 February 2008
जीव तू अनादिहीतैं भूल्यौ शिवगैलवा ।।टेक ।।
मोहमदवार पियौ, स्वपद विसार दियौ, पर अपनाय लियौ ।
इन्द्रिसुख में रचियौ, भवतैं न भियौ, न तजियौ मनमैलवा।।१ ।।जीव. ।।
मिथ्या ज्ञान आचरन धरिकर कुमरन, तीन लोककी धरन ।
तामें कियो है फिरन पायो न शरन, न लहायौ सुख शैलवा।।२ ।।जीव. ।।
अब नरभव पायौ, सुथल सुकुल आयौ जिन उपदेश भायौ ।
`दौल' झट झिटकायौ, परपरनति दुखदायिनी चुरेलवा।।३ ।।जीव. ।।