ज्ञानार्णव - श्लोक 1388: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:33, 2 July 2021
अनिलमवबुध्य सम्यक्पुष्पं हस्तात्प्रपातयेज्ज्ञानी।
मृतजीवितविज्ञाने तत: स्वयं निश्चयं कुरुते।।1388।।
अब जीवन और मरण का निश्चय करने का वर्णन किया जा रहा है। पवन से भली प्रकार से निश्चय करके ज्ञानी पुरुष अपने हाथ से पुष्प डाले उससे मृत का जीवित का ज्ञान किया जाता है। चार प्रकार के जो श्वास बताये हैं― पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु पहिले तो इसका निश्चय करें अथवा पवनों के निश्चय करने का एक साधन पुष्प का रंग भी है, अथवा एक विश्राम से रहकर एक और अनेक के केंद्र स्थान पर ध्यान लाने से जो रंग बिंदु प्रतीत होता है उससे उन मंडलों का निश्चय होता कि कौन श्वास किस मंडल की निकलती है। तो रंगों से और वायु के स्वरूप से पहिले मंडल का निश्चय करें, फिर उसमें इस प्रकार से मृत और जीवित का परिज्ञान करें।