लांतव: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) सातवाँ स्वर्ग । <span class="GRef"> महापुराण 7.57, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 105. 166-168, 59.280, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.37,50 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) सातवाँ स्वर्ग । <span class="GRef"> महापुराण 7.57, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_105#166|पद्मपुराण - 105.166-168]], 59.280, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_6#37|हरिवंशपुराण - 6.37]],50 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक इंद्रक विमान । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.50 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) एक इंद्रक विमान । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_6#50|हरिवंशपुराण - 6.50]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- कल्पवासी देवों का एक भेद - देखें स्वर्ग - 3.1।
- लांतव देवों का अवस्थान - देखें स्वर्गों में स्थित पटलों के नाम व उनमें स्थित इंद्रक व श्रेणीबद्ध।।
- स्वर्ग में दो प्रकार के पटल हैं–कल्प और कल्पातीत । कल्प पटलों की संख्या सोलह है। उनमें से सातवां कल्प लांतव है। - देखें स्वर्ग - 5.2।
- लांतव स्वर्ग का प्रथम पटल व इंद्रक - देखें स्वर्गों में स्थित पटलों के नाम व उनमें स्थित इंद्रक व श्रेणीबद्ध।।
पुराणकोष से
(1) सातवाँ स्वर्ग । महापुराण 7.57, पद्मपुराण - 105.166-168, 59.280, हरिवंशपुराण - 6.37,50
(2) एक इंद्रक विमान । हरिवंशपुराण - 6.50