आशीर्वाद: Difference between revisions
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<div class="HindiText">यशस्वान् वर्तमानकालीन नौवें मनु थे । इनकी आयु कुमुद प्रमाण वर्ष और शरीर की ऊँचाई छ: सो पचास धनुष थी । इनके समय में प्रजा अपनी संतान का मुख देखने के साथ-साथ उन्हें आशीर्वाद देकर तथा क्षणभर ठहर कर मृत्यु को प्राप्त होती थी । '''आशीर्वाद''' देने की क्रिया उनके उपदेश से आरंभ हुई थी । इन्होंने प्रजा को पुत्र का नाम रखना भी सिखाया था । प्रजा ने प्रसन्न होकर इनका यशोगान किया था ।<span class="GRef"> (महापुराण 3. 125-128, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 86, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.160, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.106) </span></div> | <div class="HindiText">यशस्वान् वर्तमानकालीन नौवें मनु थे । इनकी आयु कुमुद प्रमाण वर्ष और शरीर की ऊँचाई छ: सो पचास धनुष थी । इनके समय में प्रजा अपनी संतान का मुख देखने के साथ-साथ उन्हें आशीर्वाद देकर तथा क्षणभर ठहर कर मृत्यु को प्राप्त होती थी । '''आशीर्वाद''' देने की क्रिया उनके उपदेश से आरंभ हुई थी । इन्होंने प्रजा को पुत्र का नाम रखना भी सिखाया था । प्रजा ने प्रसन्न होकर इनका यशोगान किया था ।<span class="GRef"> (महापुराण 3. 125-128, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#86|पद्मपुराण - 3.86]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_7#160|हरिवंशपुराण - 7.160]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.106) </span></div> | ||
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
यशस्वान् वर्तमानकालीन नौवें मनु थे । इनकी आयु कुमुद प्रमाण वर्ष और शरीर की ऊँचाई छ: सो पचास धनुष थी । इनके समय में प्रजा अपनी संतान का मुख देखने के साथ-साथ उन्हें आशीर्वाद देकर तथा क्षणभर ठहर कर मृत्यु को प्राप्त होती थी । आशीर्वाद देने की क्रिया उनके उपदेश से आरंभ हुई थी । इन्होंने प्रजा को पुत्र का नाम रखना भी सिखाया था । प्रजा ने प्रसन्न होकर इनका यशोगान किया था । (महापुराण 3. 125-128, पद्मपुराण - 3.86, हरिवंशपुराण - 7.160, पांडवपुराण 2.106)