प्रानी समकित ही शिवपंथा: Difference between revisions
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(राग दीपचन्दी सोरठ)
प्रानी समकित ही शिवपंथा । या विन निर्फल सब ग्रंथा ।।टेक ।।
जा बिन बाह्यक्रिया तप कोटिक, सकल वृथा है रंथा ।।१ ।।
हयजुतरथ भी सारथ विन जिमि, चलत नहीं ऋजु पंथा ।।२ ।।
`भागचन्द' सरधानी नर भये, शिवलछमीके कंथा ।।३ ।।