समुद्र: Difference between revisions
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2. मध्य लोक में स्थित समुद्र - देखें [[ लोक#5 | लोक - 5]]; <br> | |||
3. समुद्र के नक्शे - देखें [[ लोक#7 | लोक - 7]]।</p> | |||
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) विद्याधर अमररक्ष के पुत्रों के द्वारा बनाये गये दस नगरों में एक नगर । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5. 371 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) विद्याधर अमररक्ष के पुत्रों के द्वारा बनाये गये दस नगरों में एक नगर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#371|पद्मपुराण - 5.371]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) वेलंधर नगर का स्वामी एक विद्याधर । राजा नल ने इसे युद्ध ने बांध लिया था । अंत में राम का आज्ञाकारी होने पर इसे ससम्मान उसी नगर का राजा बनाया गया था । इसकी सत्यश्री, कमला, गुणमाला और रत्नचूला नाम की चार कन्याएं थी, जिन्हें इसने लक्ष्मण को दी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 54.65-69 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) वेलंधर नगर का स्वामी एक विद्याधर । राजा नल ने इसे युद्ध ने बांध लिया था । अंत में राम का आज्ञाकारी होने पर इसे ससम्मान उसी नगर का राजा बनाया गया था । इसकी सत्यश्री, कमला, गुणमाला और रत्नचूला नाम की चार कन्याएं थी, जिन्हें इसने लक्ष्मण को दी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_54#65|पद्मपुराण - 54.65-69]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) अयोध्या एक सेठ । इसके स्त्री का नाम धारिणी था । पूर्णभद्र और कांचनभद्र इसके दो पुत्र थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 109.129-130 </span>देखें [[ समुद्रदत्त ]]</p> | <p id="3" class="HindiText">(3) अयोध्या एक सेठ । इसके स्त्री का नाम धारिणी था । पूर्णभद्र और कांचनभद्र इसके दो पुत्र थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_109#129|पद्मपुराण - 109.129-130]] </span>देखें [[ समुद्रदत्त ]]</p> | ||
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[[Category: प्रथमानुयोग]] | [[Category: प्रथमानुयोग]] | ||
Latest revision as of 10:11, 20 February 2024
सिद्धांतकोष से
1. देखें सागर ;
2. मध्य लोक में स्थित समुद्र - देखें लोक - 5;
3. समुद्र के नक्शे - देखें लोक - 7।
पुराणकोष से
(1) विद्याधर अमररक्ष के पुत्रों के द्वारा बनाये गये दस नगरों में एक नगर । पद्मपुराण - 5.371
(2) वेलंधर नगर का स्वामी एक विद्याधर । राजा नल ने इसे युद्ध ने बांध लिया था । अंत में राम का आज्ञाकारी होने पर इसे ससम्मान उसी नगर का राजा बनाया गया था । इसकी सत्यश्री, कमला, गुणमाला और रत्नचूला नाम की चार कन्याएं थी, जिन्हें इसने लक्ष्मण को दी थी । पद्मपुराण - 54.65-69
(3) अयोध्या एक सेठ । इसके स्त्री का नाम धारिणी था । पूर्णभद्र और कांचनभद्र इसके दो पुत्र थे । पद्मपुराण - 109.129-130 देखें समुद्रदत्त