साकेत: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
भरत क्षेत्र का एक नगर। अपर नाम अयोध्या। देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]। | <p class="HindiText">भरत क्षेत्र का एक नगर। अपर नाम अयोध्या। देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]।</p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 13: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> अयोध्या का अपर नाम । तीर्थंकरों के जन्मोत्सव के समय सुर-असुर आदि तीनों जगत के जीव यहाँ एकत्रित हुए थे इसीलिए यह साकेत इस नाम से प्रसिद्ध हुआ तीर्थंकर आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ इन पाँच तीर्थंकरों ने इसी नगर में जन्म लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 12.82, 48.19, 27, 50. 16-19, 51. 19-24, 60.16-22, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#37|पद्मपुराण - 20.37]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#38|पद्मपुराण - 20.38]], 40, 41, 50 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.150, 9.42, 18.97 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.107 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अयोध्या का अपर नाम । तीर्थंकरों के जन्मोत्सव के समय सुर-असुर आदि तीनों जगत के जीव यहाँ एकत्रित हुए थे इसीलिए यह साकेत इस नाम से प्रसिद्ध हुआ तीर्थंकर आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ इन पाँच तीर्थंकरों ने इसी नगर में जन्म लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 12.82, 48.19, 27, 50. 16-19, 51. 19-24, 60.16-22, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#37|पद्मपुराण - 20.37]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#38|पद्मपुराण - 20.38]], 40, 41, 50 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_8#150|हरिवंशपुराण - 8.150]], 9.42, 18.97 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.107 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 10:02, 22 February 2024
सिद्धांतकोष से
भरत क्षेत्र का एक नगर। अपर नाम अयोध्या। देखें मनुष्य - 4।
पुराणकोष से
अयोध्या का अपर नाम । तीर्थंकरों के जन्मोत्सव के समय सुर-असुर आदि तीनों जगत के जीव यहाँ एकत्रित हुए थे इसीलिए यह साकेत इस नाम से प्रसिद्ध हुआ तीर्थंकर आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ इन पाँच तीर्थंकरों ने इसी नगर में जन्म लिया था । महापुराण 12.82, 48.19, 27, 50. 16-19, 51. 19-24, 60.16-22, पद्मपुराण - 20.37,पद्मपुराण - 20.38, 40, 41, 50 हरिवंशपुराण - 8.150, 9.42, 18.97 वीरवर्द्धमान चरित्र 2.107