मान न कीजिये हो परवीन: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:44, 14 February 2008
( राग मल्हार )
मान न कीजिये हो परवीन ।।टेक ।।
जाय पलाय चंचला कमला, तिष्ठै दो दिन तीन ।
धनजोवन क्षणभंगुर सब ही, होत सुछिन छिन छीन ।।१ ।।
भरत नरेन्द्र खंड-षट-नायक, तेहु भये मद हीन ।
तेरी बात कहा है भाई, तू तो सहज ही दीन ।।२ ।।
`भागचन्द' मार्दव-रससागर, माहिं होहु लवलीन ।
तातैं जगतजाल में फिर कहूँ, जनम न होय नवीन ।।३ ।।