अचल: Difference between revisions
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<p id="1">(1) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में बाईसवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.55-70</p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में बाईसवें गणधर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_12#55|हरिवंशपुराण - 12.55-70]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) | <p id="2" class="HindiText">(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित मगध देश का एक ग्राम । वसुदेव ने यहाँ वनमाला को प्राप्त किया था । <span class="GRef"> महापुराण 62.325, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_24#25|हरिवंशपुराण - 24.25]] </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4. 194 </span></p> | ||
<p id="3">(3) | <p id="3" class="HindiText">(3) अंधकवृष्णि और सुभद्रा का छठा पुत्र यह समुद्रविजय, अक्षोभ्य, स्तिमितसागर, हिमवान् और विजय का छोटा भाई तथा धारण, पूरण, अभिचंद्र और वसुदेव का बड़ा भाई था । <span class="GRef"> महापुराण 70.94-96, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_18#12|हरिवंशपुराण - 18.12-14]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) भगवान् महावीर के नवम गणधर । हरिवंशपुराण 3.43</p> | <p id="4" class="HindiText">(4) भगवान् महावीर के नवम गणधर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#43|हरिवंशपुराण - 3.43]] </span></p> | ||
<p id="5">(5) अवसर्पिणी काल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न दूसरा बलभद्र । हरिवंशपुराण 60.290, | <p id="5" class="HindiText">(5) अवसर्पिणी काल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न दूसरा बलभद्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#290|हरिवंशपुराण - 60.290]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 111 </span>देखें [[ अचलस्तोक ]]</p> | ||
<p id="6">(6) वसुदेव के भाई अचल का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.49</p> | <p id="6" class="HindiText">(6) वसुदेव के भाई अचल का पुत्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_48#49|हरिवंशपुराण - 48.49]] </span></p> | ||
<p id="7">(7) वाराणसी नगरी का एक राजा, गिरिदेवी का पति । पद्मपुराण 41.107</p> | <p id="7" class="HindiText">(7) वाराणसी नगरी का एक राजा, गिरिदेवी का पति । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_41#107|पद्मपुराण - 41.107]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) राम की वानरसेना का एक योद्धा । पद्मपुराण 74. 65-66</p> | <p id="8" class="HindiText">(8) राम की वानरसेना का एक योद्धा । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_74#65|पद्मपुराण - 74.65-66]] </span></p> | ||
<p id="9">(9) | <p id="9" class="HindiText">(9) जंबूद्वीप के पश्चिम विदेह में का एक चक्रवर्ती । इसकी रानी का नाम रत्ना और पुत्र का नाम अभिराम था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_85#102|पद्मपुराण - 85.102-103]] </span></p> | ||
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<p id="11">(11) सिद्ध का एक गुण । इसकी प्राप्ति के लिए ‘‘अचलाय नमः’’ इस पीठिका- | <p id="11">(11) सिद्ध का एक गुण । इसकी प्राप्ति के लिए ‘‘अचलाय नमः’’ इस पीठिका-मंत्र का जप किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 40.13 </span></p> | ||
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<p id="13">(13) मथुरा के राजा | <p id="13">(13) मथुरा के राजा चंद्रप्रभ और उसकी दूसरी रानी कनकप्रभा का पुत्र । इसने शस्त्रविद्या में विशिखाचार्य को पराजित कर कौशांबी के राजा कोशीवत्स की पुत्री इंद्रदत्ता के साथ विवाह किया था । अंत में इसे मथुरा का राज्य प्राप्त हो गया था । इसने कुछ समय राज्य करने के पश्चात् यश: समुद्र आचार्य से निर्ग्रंथ दीक्षा धारण कर ली थी तथा समाधिमरण करके स्वर्ग प्राप्त किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_91#19|पद्मपुराण - 91.19-42]] </span></p> | ||
<p id="14">(14) छठा रुद्र । यह वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ था । </p> | <p id="14">(14) छठा रुद्र । यह वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ था । </p> | ||
<p>इसकी ऊंचाई सत्तर धनुष और आयु साठ लाख वर्ष थी । हरिवंशपुराण 60.535-536, 540</p> | <p>इसकी ऊंचाई सत्तर धनुष और आयु साठ लाख वर्ष थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#535|हरिवंशपुराण - 60.535-536]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#540|540]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
2. द्वितीय बलदेव। अपरनाम अचलस्तोक (देखें अचलस्तोक )।
3. एकादश रुद्रों में छठा रुद्र। अपरनाम बल (देखें शलाका पुरुष - 7)।
4. भरत क्षेत्र का एक ग्राम (देखें मनुष्य - 4)।
5. पश्चिम धातकी खंड का मेरु (देखें लोक - 4.2)।
पुराणकोष से
(1) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में बाईसवें गणधर । हरिवंशपुराण - 12.55-70
(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित मगध देश का एक ग्राम । वसुदेव ने यहाँ वनमाला को प्राप्त किया था । महापुराण 62.325, हरिवंशपुराण - 24.25 पांडवपुराण 4. 194
(3) अंधकवृष्णि और सुभद्रा का छठा पुत्र यह समुद्रविजय, अक्षोभ्य, स्तिमितसागर, हिमवान् और विजय का छोटा भाई तथा धारण, पूरण, अभिचंद्र और वसुदेव का बड़ा भाई था । महापुराण 70.94-96, हरिवंशपुराण - 18.12-14
(4) भगवान् महावीर के नवम गणधर । हरिवंशपुराण - 3.43
(5) अवसर्पिणी काल के दु:षमा-सुषमा नामक चौथे काल में उत्पन्न दूसरा बलभद्र । हरिवंशपुराण - 60.290, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.101, 111 देखें अचलस्तोक
(6) वसुदेव के भाई अचल का पुत्र । हरिवंशपुराण - 48.49
(7) वाराणसी नगरी का एक राजा, गिरिदेवी का पति । पद्मपुराण - 41.107
(8) राम की वानरसेना का एक योद्धा । पद्मपुराण - 74.65-66
(9) जंबूद्वीप के पश्चिम विदेह में का एक चक्रवर्ती । इसकी रानी का नाम रत्ना और पुत्र का नाम अभिराम था । पद्मपुराण - 85.102-103
(10) अंतिम संख्यावाची नाम । महापुराण 3.222-227
(11) सिद्ध का एक गुण । इसकी प्राप्ति के लिए ‘‘अचलाय नमः’’ इस पीठिका-मंत्र का जप किया जाता है । महापुराण 40.13
(12) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.128
(13) मथुरा के राजा चंद्रप्रभ और उसकी दूसरी रानी कनकप्रभा का पुत्र । इसने शस्त्रविद्या में विशिखाचार्य को पराजित कर कौशांबी के राजा कोशीवत्स की पुत्री इंद्रदत्ता के साथ विवाह किया था । अंत में इसे मथुरा का राज्य प्राप्त हो गया था । इसने कुछ समय राज्य करने के पश्चात् यश: समुद्र आचार्य से निर्ग्रंथ दीक्षा धारण कर ली थी तथा समाधिमरण करके स्वर्ग प्राप्त किया था । पद्मपुराण - 91.19-42
(14) छठा रुद्र । यह वासुपूज्य तीर्थंकर के तीर्थ में हुआ था ।
इसकी ऊंचाई सत्तर धनुष और आयु साठ लाख वर्ष थी । हरिवंशपुराण - 60.535-536, 540