आचार्यभक्ति: Difference between revisions
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<p> सोलहकारण भावनाओं में एक भावना― आचार्यों में मन, वचन और काय से भावों की शुद्धि के साथ श्रद्धा रखना । महापुराण 63. 327,331, हरिवंशपुराण 34.141</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सोलहकारण भावनाओं में एक भावना― आचार्यों में मन, वचन और काय से भावों की शुद्धि के साथ श्रद्धा रखना । <span class="GRef"> महापुराण 63. 327,331, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#141|हरिवंशपुराण - 34.141]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सोलहकारण भावनाओं में एक भावना― आचार्यों में मन, वचन और काय से भावों की शुद्धि के साथ श्रद्धा रखना । महापुराण 63. 327,331, हरिवंशपुराण - 34.141