आतम अनुभव कीजै हो: Difference between revisions
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Latest revision as of 09:06, 15 February 2008
आतम अनुभव कीजै हो
जनम जरा अरु मरन नाशकै, अनंतकाल लौं जीजै हो ।।आतम. ।।
देव धरम गुरु की सरधा करि, कुगुरु आदि तज दीजै हो ।
छहौं दरब नव तत्त्व परखकै, चेतन सार गहीजै हो ।।आतम. ।।१ ।।
दरब करम नो करम भिन्न करि, सूक्ष्मदृष्टि धरीजै हो ।
भाव करमतैं भिन्न जानिकै, बुधि विलास न करीजै हो ।।आतम. ।।२ ।।
आप आप जानै सो अनुभव, `द्यानत' शिवका दीजै हो ।
और उपाय वन्यो नहिं वनि है, करै सो दक्ष कहीजै हो ।।आतम. ।।३ ।।