आतमरूप अनूपम है, घटमाहिं विराजै हो: Difference between revisions
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आतमरूप अनूपम है, घटमाहिं विराजै हो
जाके सुमरन जापसों, भव भव दुख भाजै हो।।आतम. ।।
केवल दरसन ज्ञानमैं, थिरतापद छाजै हो ।
उपमाको तिहुँ लोकमें, कोऊ वस्तु न राजै हो ।।आतम. ।।१ ।।
सहै परीषह भार जो, जु महाव्रत साजै हो ।
ज्ञान बिना शिव ना लहै, बहुकर्म उपाजै हो ।।आतम. ।।२ ।।
तिहूँ लोक तिहुँ कालमें, नहिं और इलाजै हो ।
`द्यानत' ताकों जानिये, निज स्वारथकाजै हो ।।आतम. ।।३ ।।