जानो धन्य सो धन्य सो धीर वीरा: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:17, 29 February 2008
जानो धन्य सो धन्य सो धीर वीरा
मदन सौ सुभट जिन, चटक दे पट कियो।।टेक ।।
पाँच-इन्द्रि-कटक झटक सब वश कर्यो,
पटक मन भूप कीनो जँजीरा ।।धन्य सो. ।।१ ।।
आस रंचन नहीं पास कंचन नहीं,
आप सुख सुखी गुन गन गँभीरा ।।धन्य सो. ।।२ ।।
कहत `द्यानत' सही, तरन तारन वही,
सुमर लै संत भव उदधि तीरा ।।धन्य सो. ।।३ ।।