नहिं ऐसो जनम बारंबार: Difference between revisions
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Latest revision as of 00:58, 16 February 2008
नहिं ऐसो जनम बारंबार
कठिन कठिन लह्यो मनुष भव, विषय भजि मति हार ।।नहिं. ।।
पाय चिन्तामन रतन शठ, छिपत उदधिमँझार ।
अंध हाथ बटेर आई, तजत ताहि गँवार ।।नहिं. ।।१ ।।
कबहुँ नरक तिरयंच कबहूँ, कबहूँ सुरगबिहार ।
जगतमहिं चिरकाल भ्रमियो, दुर्लभ नर अवतार ।।नहिं. ।।२ ।।
पाय अमृत पाँय धोवै, कहत सुगुरु पुकार ।
तजो विषय कषाय `द्यानत', ज्यों लहो भवपार ।।नहिं. ।।३ ।।