सबसों छिमा छिमा कर जीव!: Difference between revisions
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सबसों छिमा छिमा कर जीव!
मन वच तनसों वैर भाव तज, भज समता जु सदीव ।।सबसों. ।।
तपतरु उपशम जल चिर सींच्यो, तापस शिवफल हेत ।
क्रोध अगनि छिनमाहिं, जरावै, पावै नरक-निकेत ।।सबसौं. ।।१ ।।
सब गुनसहित गहत रिस मनमें, गुन औगुन ह्वै जात ।
जैसैं प्रानदान भोजन ह्वै, सविष भये तन घात ।।सबसौं. ।।२ ।।
आप समान जान घट घटमें, धर्ममूल यह वीर ।
`द्यानत' भवदुखदाह बुझावै, ज्ञान सरोवर नीर ।।सबसौं. ।।३ ।।