री! मेरे घट ज्ञान घनागम छायो: Difference between revisions
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री! मेरे घट ज्ञान घनागम छायो
शुद्ध भाव बादल मिल आये, सूरज मोह छिपायो ।।री. ।।
अनहद घोर घोर गरजत है, भ्रम आताप मिटायो ।
समता चपला चमकनि लागी, अनुभौ-सुख झर लायो ।।री. ।।१ ।।
सत्ता भूमि बीज समकितको, शिवपद खेत उपायो ।
उद्धत भाव सरोवर दीसै, मोर सुमन हरषायो ।।री. ।।२ ।।
भव-प्रदेशतैं बहु दिन पीछैं, चेतन पिय घर आयो ।
`द्यानत' सुमति कहै सखियनसों, यह पावस मोहि भायो ।।री. ।।३ ।।