विमलवाहन: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) सातवें मनु-कुलकर । <span class="GRef"> महापुराण 3. 116-119 </span>देखें [[ विपुलवाहन#4 | विपुलवाहन - 4]]</p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) सातवें मनु-कुलकर । <span class="GRef"> महापुराण 3. 116-119 </span>देखें [[ विपुलवाहन#4 | विपुलवाहन - 4]]</p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर अजितनाथ के दूसरे पूर्वभव का जीव-पूर्वविदेह की सुसीमा नगरी का राजा । यह दीक्षा धारण कर और तीर्थंकर-प्रकृति का बंध कर समाधिमरणपूर्वक देह त्याग करके अनुत्तर विमान में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 48. 3-4, 11-13, 25-27, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 18-24 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) तीर्थंकर अजितनाथ के दूसरे पूर्वभव का जीव-पूर्वविदेह की सुसीमा नगरी का राजा । यह दीक्षा धारण कर और तीर्थंकर-प्रकृति का बंध कर समाधिमरणपूर्वक देह त्याग करके अनुत्तर विमान में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 48. 3-4, 11-13, 25-27, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#18|पद्मपुराण - 20.18-24]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) तीर्थंकर सुमतिनाथ के पूर्वभव का पिता । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.25-30 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) तीर्थंकर सुमतिनाथ के पूर्वभव का पिता । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_20#25|पद्मपुराण - 20.25-30]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) आगामी ग्यारहवें चक्रवर्ती । <span class="GRef"> महापुराण 76.484, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.565 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) आगामी ग्यारहवें चक्रवर्ती । <span class="GRef"> महापुराण 76.484, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#565|हरिवंशपुराण - 60.565]] </span></p> | ||
<p id="5">(5) विदेह के एक तीर्थंकर (मुनि) । ये जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा अर्हद्दास के दीक्षागुरु थे । ये दोनों गुरु-शिष्य गंधमादन पर्वत से निर्वाण को प्राप्त हुए । <span class="GRef"> महापुराण 70. 12, 18, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.3-10, </span>देखें [[ अर्हद्दास#3 | अर्हद्दास - 3]]</p> | <p id="5" class="HindiText">(5) विदेह के एक तीर्थंकर (मुनि) । ये जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा अर्हद्दास के दीक्षागुरु थे । ये दोनों गुरु-शिष्य गंधमादन पर्वत से निर्वाण को प्राप्त हुए । <span class="GRef"> महापुराण 70. 12, 18, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#3|हरिवंशपुराण - 34.3-10]], </span>देखें [[ अर्हद्दास#3 | अर्हद्दास - 3]]</p> | ||
<p id="6">(6) एक मुनिराज । राजा मधु अपने छोटे भाई कैटभ के साथ इन्हीं से दीक्षित हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 72. 43, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 43. 200-202, </span>देखें [[ मधु#6 | मधु - 6]]</p> | <p id="6" class="HindiText">(6) एक मुनिराज । राजा मधु अपने छोटे भाई कैटभ के साथ इन्हीं से दीक्षित हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 72. 43, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_43#200|हरिवंशपुराण - 43.200-202]], </span>देखें [[ मधु#6 | मधु - 6]]</p> | ||
<p id="7">(7) विदेहक्षेत्र के एक मुनि । इन्होंने तीर्थंकर अभिनंदननाथ के दूसरे पूर्वभव के जीव रत्नसंचय नगर के राजा महाबल को दीक्षा दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 50. 2-3, 11 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) विदेहक्षेत्र के एक मुनि । इन्होंने तीर्थंकर अभिनंदननाथ के दूसरे पूर्वभव के जीव रत्नसंचय नगर के राजा महाबल को दीक्षा दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 50. 2-3, 11 </span></p> | ||
<p id="8">(8) तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ का अपर नाम । <span class="GRef"> महापुराण 59.22 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ का अपर नाम । <span class="GRef"> महापुराण 59.22 </span></p> | ||
<p id="9">(9) अंग देश की चंपा नगरी के राजा श्वेतवाहन का पुत्र । यह उनका उत्तराधिकारी राजा हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 76.7-9 </span></p> | <p id="9" class="HindiText">(9) अंग देश की चंपा नगरी के राजा श्वेतवाहन का पुत्र । यह उनका उत्तराधिकारी राजा हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 76.7-9 </span></p> | ||
<p id="10">(10) तीर्थंकर संभवनाथ के दूसरे पूर्वभव का जीव-विदेहक्षेत्र में कच्छ देश के क्षेमपुर नगर का राजा । यह विमलकीर्ति को राज्य देकर स्वयंप्रभ मुनि से दीक्षित हुआ । पश्चात् इसने तीर्थंकरप्रकृति का बंध किया । अंत में देह त्याग कर ग्रैवेयक के सुदर्शन विमान में अहमिंद्र हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 49.2, 6-9 </span></p> | <p id="10">(10) तीर्थंकर संभवनाथ के दूसरे पूर्वभव का जीव-विदेहक्षेत्र में कच्छ देश के क्षेमपुर नगर का राजा । यह विमलकीर्ति को राज्य देकर स्वयंप्रभ मुनि से दीक्षित हुआ । पश्चात् इसने तीर्थंकरप्रकृति का बंध किया । अंत में देह त्याग कर ग्रैवेयक के सुदर्शन विमान में अहमिंद्र हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 49.2, 6-9 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- महापुराण/117-119 सप्तम कुलकर थे, जिन्होंने तब की जनता को हाथी घोड़े आदि की सवारी का उपदेश दिया।–देखें शलाका पुरुष - 9.1
- महापुराण /48/ श्लोक–पूर्वविदेह की सुसीमा नगरी के राजा थे।2-4। दीक्षा धारण कर।11। तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया।12। समाधिमरणपूर्वक देह त्याग अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुए।13। यह अजितनाथ भगवान् का पूर्व का दूसरा भव है।–देखें अजितनाथ ।
- महापुराण/49/ श्लोक-पूर्वविदेह में क्षेमपुरी नगर के राजा थे।2। दीक्षा धारणकर।7। तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया। संन्यास विधि से शरीर छोड़ सुदर्शन नामक नवम ग्रैवेयक में उत्पन्न हुए ।6-9। यह संभवनाथ भगवान् का पूर्व का दूसरा भव है।–देखें संभवनाथ ।
पुराणकोष से
(1) सातवें मनु-कुलकर । महापुराण 3. 116-119 देखें विपुलवाहन - 4
(2) तीर्थंकर अजितनाथ के दूसरे पूर्वभव का जीव-पूर्वविदेह की सुसीमा नगरी का राजा । यह दीक्षा धारण कर और तीर्थंकर-प्रकृति का बंध कर समाधिमरणपूर्वक देह त्याग करके अनुत्तर विमान में देव हुआ । महापुराण 48. 3-4, 11-13, 25-27, पद्मपुराण - 20.18-24
(3) तीर्थंकर सुमतिनाथ के पूर्वभव का पिता । पद्मपुराण - 20.25-30
(4) आगामी ग्यारहवें चक्रवर्ती । महापुराण 76.484, हरिवंशपुराण - 60.565
(5) विदेह के एक तीर्थंकर (मुनि) । ये जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा अर्हद्दास के दीक्षागुरु थे । ये दोनों गुरु-शिष्य गंधमादन पर्वत से निर्वाण को प्राप्त हुए । महापुराण 70. 12, 18, हरिवंशपुराण - 34.3-10, देखें अर्हद्दास - 3
(6) एक मुनिराज । राजा मधु अपने छोटे भाई कैटभ के साथ इन्हीं से दीक्षित हुआ था । महापुराण 72. 43, हरिवंशपुराण - 43.200-202, देखें मधु - 6
(7) विदेहक्षेत्र के एक मुनि । इन्होंने तीर्थंकर अभिनंदननाथ के दूसरे पूर्वभव के जीव रत्नसंचय नगर के राजा महाबल को दीक्षा दी थी । महापुराण 50. 2-3, 11
(8) तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ का अपर नाम । महापुराण 59.22
(9) अंग देश की चंपा नगरी के राजा श्वेतवाहन का पुत्र । यह उनका उत्तराधिकारी राजा हुआ । महापुराण 76.7-9
(10) तीर्थंकर संभवनाथ के दूसरे पूर्वभव का जीव-विदेहक्षेत्र में कच्छ देश के क्षेमपुर नगर का राजा । यह विमलकीर्ति को राज्य देकर स्वयंप्रभ मुनि से दीक्षित हुआ । पश्चात् इसने तीर्थंकरप्रकृति का बंध किया । अंत में देह त्याग कर ग्रैवेयक के सुदर्शन विमान में अहमिंद्र हुआ । महापुराण 49.2, 6-9