कुकृत: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> पाप । अत्यधिक क्रोध करना, पर पीड़ा में प्रीति रखना, रुक्ष वचन बोलना ये कुकृत है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 123.176-177 </span></p> | <span class="HindiText"> पाप । अत्यधिक क्रोध करना, पर पीड़ा में प्रीति रखना, रुक्ष वचन बोलना ये कुकृत है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_123#176|पद्मपुराण - 123.176-177]] </span></p> | ||
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पाप । अत्यधिक क्रोध करना, पर पीड़ा में प्रीति रखना, रुक्ष वचन बोलना ये कुकृत है । पद्मपुराण - 123.176-177