कुरु: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 16: | Line 16: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<span class="HindiText"> (1) एक देश । वृषभदेव की विहारभूमि (मेरठ का पार्श्ववर्ती प्रदेश) । <span class="GRef"> महापुराण 16.152, 25.287, 29.40, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.44 </span> </span></br><span class="HindiText">(2) वृषभदेव द्वारा स्थापित एक देश । सोमप्रभ इसका प्रमुख राजा था । कौरव इसी वंश में हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 16.258, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 13. 19, 33, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.164-165, 7.74-75, </span></br><span class="HindiText">(3) कुरु देश के स्वामी राजा । ये कठोर शासन तथा न्याय-पालक थे । <span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.44 </span> </span></br><span class="HindiText">(4) कुरुवंशी राजा सोमप्रभ का पौत्र और जयकुमार का पुत्र । इसका नाम भी कुरु ही था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45-9 </span></br><span class="HindiText">(5) एक दानी नृप । इसके वंश में चंद्रचिह्न (शशांकांक) और शूरसेन आदि अनेक राजा हुए । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.19, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 6.3 </span></br> | <span class="HindiText"> (1) एक देश । वृषभदेव की विहारभूमि (मेरठ का पार्श्ववर्ती प्रदेश) । <span class="GRef"> महापुराण 16.152, 25.287, 29.40, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#44|हरिवंशपुराण - 9.44]] </span> </span></br><span class="HindiText">(2) वृषभदेव द्वारा स्थापित एक देश । सोमप्रभ इसका प्रमुख राजा था । कौरव इसी वंश में हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 16.258, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_13#19|हरिवंशपुराण - 13.19]], 33, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.164-165, 7.74-75, </span></br><span class="HindiText">(3) कुरु देश के स्वामी राजा । ये कठोर शासन तथा न्याय-पालक थे । <span class="GRef"> <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#44|हरिवंशपुराण - 9.44]] </span> </span></br><span class="HindiText">(4) कुरुवंशी राजा सोमप्रभ का पौत्र और जयकुमार का पुत्र । इसका नाम भी कुरु ही था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45-9 </span></br><span class="HindiText">(5) एक दानी नृप । इसके वंश में चंद्रचिह्न (शशांकांक) और शूरसेन आदि अनेक राजा हुए । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#19|हरिवंशपुराण - 45.19]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 6.3 </span></br> | ||
<span class="HindiText">(5) विदेह क्षेत्र की उत्तर तथा दक्षिण दिशा में स्थित उत्तरकुरु एवं देवकुरु प्रदेश । <span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 37 </span> | <span class="HindiText">(5) विदेह क्षेत्र की उत्तर तथा दक्षिण दिशा में स्थित उत्तरकुरु एवं देवकुरु प्रदेश । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#37|पद्मपुराण - 3.37]] </span> | ||
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- भरतक्षेत्र आर्य खंड का एक देश–देखें मनुष्य - 4.4।
- महापुराण/ प्र./48 पं. पन्नालाल–सरस्वती नदी के बाँयीं ओर का कुरुजांगल देश। हस्तिनापुर इसकी राजधानी है।
- देव व उत्तरकुरु–(देखें लोक - 3.11)
पुराणकोष से
(1) एक देश । वृषभदेव की विहारभूमि (मेरठ का पार्श्ववर्ती प्रदेश) । महापुराण 16.152, 25.287, 29.40, हरिवंशपुराण - 9.44
(2) वृषभदेव द्वारा स्थापित एक देश । सोमप्रभ इसका प्रमुख राजा था । कौरव इसी वंश में हुए थे । महापुराण 16.258, हरिवंशपुराण - 13.19, 33, पांडवपुराण 2.164-165, 7.74-75,
(3) कुरु देश के स्वामी राजा । ये कठोर शासन तथा न्याय-पालक थे । हरिवंशपुराण - 9.44
(4) कुरुवंशी राजा सोमप्रभ का पौत्र और जयकुमार का पुत्र । इसका नाम भी कुरु ही था । हरिवंशपुराण 45-9
(5) एक दानी नृप । इसके वंश में चंद्रचिह्न (शशांकांक) और शूरसेन आदि अनेक राजा हुए । हरिवंशपुराण - 45.19, पांडवपुराण 6.3
(5) विदेह क्षेत्र की उत्तर तथा दक्षिण दिशा में स्थित उत्तरकुरु एवं देवकुरु प्रदेश । पद्मपुराण - 3.37