राधावेध: Difference between revisions
From जैनकोष
mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> द्रौपदी के स्वयंवर हेतु राजा द्रुपद द्वारा कराई गयी दो घोषणाओं में दूसरी घोषणा । इसमें घूमती हुई राधा-मछली की नाक के मोती का बाण से भेदन करना था । अर्जुन ने बाण चढ़ाकर राधा के मोती को बेधा था और द्रौपदी को प्राप्त किया था । इसका अपर नाम चंद्रकवेध था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45. 127, 134-146, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 15.109-110 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> द्रौपदी के स्वयंवर हेतु राजा द्रुपद द्वारा कराई गयी दो घोषणाओं में दूसरी घोषणा । इसमें घूमती हुई राधा-मछली की नाक के मोती का बाण से भेदन करना था । अर्जुन ने बाण चढ़ाकर राधा के मोती को बेधा था और द्रौपदी को प्राप्त किया था । इसका अपर नाम चंद्रकवेध था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#127|हरिवंशपुराण - 45.127]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_45#134|हरिवंशपुराण - 45.134]]-146, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 15.109-110 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
द्रौपदी के स्वयंवर हेतु राजा द्रुपद द्वारा कराई गयी दो घोषणाओं में दूसरी घोषणा । इसमें घूमती हुई राधा-मछली की नाक के मोती का बाण से भेदन करना था । अर्जुन ने बाण चढ़ाकर राधा के मोती को बेधा था और द्रौपदी को प्राप्त किया था । इसका अपर नाम चंद्रकवेध था । हरिवंशपुराण - 45.127,हरिवंशपुराण - 45.134-146, पांडवपुराण 15.109-110