वसुधा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) पुष्कलावती नगरी के राजा नंदिघोष की रानी । यह नंदिवर्धन की जननी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 31.30 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) पुष्कलावती नगरी के राजा नंदिघोष की रानी । यह नंदिवर्धन की जननी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_31#30|पद्मपुराण - 31.30]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) मिथिला नगरी के राजा जनक की रानी । यह सीता की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 67.166-167 </span></p> | <p id="2">(2) मिथिला नगरी के राजा जनक की रानी । यह सीता की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 67.166-167 </span></p> | ||
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Revision as of 22:35, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
बृ.स.स्तो/टी./3/7 वसु द्रव्यं दधातीति वसुधा पृथिवी। = वसु अर्थात् द्रव्यों को धारण करती है, इसलिए पृथिवी वसुधा कहलाती है।
पुराणकोष से
(1) पुष्कलावती नगरी के राजा नंदिघोष की रानी । यह नंदिवर्धन की जननी थी । पद्मपुराण - 31.30
(2) मिथिला नगरी के राजा जनक की रानी । यह सीता की जननी थी । महापुराण 67.166-167