इतरनिगोद: Difference between revisions
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<p class="HindiText">देखें [[ वनस्पति#2 | वनस्पति - 2]]।</p> | <p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ वनस्पति#2 | वनस्पति - 2]]।</p> | ||
Revision as of 08:58, 21 July 2023
== सिद्धांतकोष से ==
धवला 14/5, 6, 128/236/6 जे देव-णेरइय-तिरिक्ख-मणुस्सेसूप्पज्जियूण पुणो णिगोदेसु पविसिय अच्छंति ते चदुगइणिच्चगोदा णाम । = जो देव, नारकी तिर्यंच और मनुष्यों में उत्पन्न होकर पुनः निगोदों में प्रवेश करके रहते हैं वे चतुर्गति निगोद जीव कहे जाते हैं ।
अधिक जानकारी के लिये देखें वनस्पति - 2।
पुराणकोष से
साधारण वनस्पति जीवों का एक भेद । इसमें जीव की सात लाख कुयोनियां होती हैं । हरिवंशपुराण 18.56 ,57