श्रीदत्ता: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के पुरोहित सत्यवादी श्रीभूति की पत्नी । श्रीभूति धरोहर के रूप में रखे गये सुमित्रदत्त के रत्नों को नहीं देना चाहता था । रामदत्ता रानी ने जुए में श्रीभूति की अँगूठी जीत कर अँगूठी इसके पास भेजते हुए सुमित्रदत्त के रत्न इससे मँगवा लिये थे । इससे रानी के द्वारा श्रीभूति को बहुत कष्ट उठाना पड़ा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.20-43 </span>देखें [[ रामदत्ता ]]</p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के पुरोहित सत्यवादी श्रीभूति की पत्नी । श्रीभूति धरोहर के रूप में रखे गये सुमित्रदत्त के रत्नों को नहीं देना चाहता था । रामदत्ता रानी ने जुए में श्रीभूति की अँगूठी जीत कर अँगूठी इसके पास भेजते हुए सुमित्रदत्त के रत्न इससे मँगवा लिये थे । इससे रानी के द्वारा श्रीभूति को बहुत कष्ट उठाना पड़ा । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_27#20|हरिवंशपुराण - 27.20-43]] </span>देखें [[ रामदत्ता ]]</p> | ||
<p id="2">(2) जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र संबंधी विजयार्ध के राजा श्रीधर्म की रानी । विभीषण के जीव श्रीराम की यह जननी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.115-116 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र संबंधी विजयार्ध के राजा श्रीधर्म की रानी । विभीषण के जीव श्रीराम की यह जननी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_27#115|हरिवंशपुराण - 27.115-116]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) महापुर नगर के राजा छत्रच्छाय की रानी । यह वृषभध्वज की जननी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106, 39, 48 </span>देखें [[ वृषभध्वज ]]</p> | <p id="3" class="HindiText">(3) महापुर नगर के राजा छत्रच्छाय की रानी । यह वृषभध्वज की जननी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106, 39, 48 </span>देखें [[ वृषभध्वज ]]</p> | ||
<p id="4">(4) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी शंख नगर के निवासी देविल वैश्य और उसकी बंधुश्री स्त्री की पुत्री । इसने मुनि सर्वयश से अहिंसाव्रत लेते हुए धर्मचक्र-व्रत किया था । आर्यिका सुव्रता के वमन को देखकर घृणा करने के फलस्वरूप कनकश्री की पर्याय में इसका पिता मारा गया और इसका अपहरण हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 62. 494-495 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी शंख नगर के निवासी देविल वैश्य और उसकी बंधुश्री स्त्री की पुत्री । इसने मुनि सर्वयश से अहिंसाव्रत लेते हुए धर्मचक्र-व्रत किया था । आर्यिका सुव्रता के वमन को देखकर घृणा करने के फलस्वरूप कनकश्री की पर्याय में इसका पिता मारा गया और इसका अपहरण हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 62. 494-495 </span></p> | ||
<p id="5">(5) जंबूद्वीप के ऐरावतक्षेत्र संबंधी गांधार देश में विंध्यपुर के धनमित्र वणिक् की स्त्री । यह सुदत्त की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 100-101 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) जंबूद्वीप के ऐरावतक्षेत्र संबंधी गांधार देश में विंध्यपुर के धनमित्र वणिक् की स्त्री । यह सुदत्त की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 100-101 </span></p> | ||
<p id="6">(6) लंबी में राजपुर नगर के श्रेष्ठी धनपाल की पत्नी । वरदत्त की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 75. 256-259 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) लंबी में राजपुर नगर के श्रेष्ठी धनपाल की पत्नी । वरदत्त की यह जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 75. 256-259 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
(1) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के पुरोहित सत्यवादी श्रीभूति की पत्नी । श्रीभूति धरोहर के रूप में रखे गये सुमित्रदत्त के रत्नों को नहीं देना चाहता था । रामदत्ता रानी ने जुए में श्रीभूति की अँगूठी जीत कर अँगूठी इसके पास भेजते हुए सुमित्रदत्त के रत्न इससे मँगवा लिये थे । इससे रानी के द्वारा श्रीभूति को बहुत कष्ट उठाना पड़ा । हरिवंशपुराण - 27.20-43 देखें रामदत्ता
(2) जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र संबंधी विजयार्ध के राजा श्रीधर्म की रानी । विभीषण के जीव श्रीराम की यह जननी थी । हरिवंशपुराण - 27.115-116
(3) महापुर नगर के राजा छत्रच्छाय की रानी । यह वृषभध्वज की जननी थी । पद्मपुराण 106, 39, 48 देखें वृषभध्वज
(4) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी शंख नगर के निवासी देविल वैश्य और उसकी बंधुश्री स्त्री की पुत्री । इसने मुनि सर्वयश से अहिंसाव्रत लेते हुए धर्मचक्र-व्रत किया था । आर्यिका सुव्रता के वमन को देखकर घृणा करने के फलस्वरूप कनकश्री की पर्याय में इसका पिता मारा गया और इसका अपहरण हुआ । महापुराण 62. 494-495
(5) जंबूद्वीप के ऐरावतक्षेत्र संबंधी गांधार देश में विंध्यपुर के धनमित्र वणिक् की स्त्री । यह सुदत्त की जननी थी । महापुराण 63. 100-101
(6) लंबी में राजपुर नगर के श्रेष्ठी धनपाल की पत्नी । वरदत्त की यह जननी थी । महापुराण 75. 256-259